पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने धांधली के नाम पर लोगों की नौकरियां छीने जाने पर कोर्ट से अपील की कि कोर्ट इस संबंध में मानवीय चेहरा अपनाये
पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में हाईकोर्ट द्वारा लगातार धांधली में लिप्त शिक्षकों की नौकरी रद्द किये जाने पर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कोर्ट से मानवीय रूप अख्तियार करने की अपील की। ऋषि अरविंद घोष की 150वीं जन्म वार्षिकी को लेकर अलीपुर बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि यदि किसी ने अन्याय किया है, तो उसे सजा दें, लेकिन प्रत्येक दिन हजार-हजार लोगों की नौकरी छीन ली जा रही है। नौकरी छीनने पर दो लोगों ने आत्महत्या की है। इसे देखकर उन्हें दुःख होता है।
उन्होंने कहा कि संभवतः उन्हें या उनकी पार्टी को पसंद नहीं करते हैं। मुझे गाली दें या मारें, लेकिन लोगों की नौकरी नहीं छीने। उन्हें फिर से एक मौका और दें।मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अलीपुर बार एसोसिएशन की ओर से लाइफटाइम सदस्यता प्रदान की गई। ममता बनर्जी ने कहा कि न्याय की आशा में लोग कोर्ट में आते हैं। सरकार का लीगल एड सर्विस भी है, जिससे लोगों को मदद की जाती है। लीगल एड सर्विस को और भी मजबूत करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि वह कभी-कभी सोचती हैं कि वह खुद ही खुद मामलों की पैरवी करें, ताकि वह अपनी बात खुलकर बोल सकें।ममता बनर्जी ने कहा कि यदि कोई गलती है कि तो उसका दायित्व क्यों लेगा। न्याय किया है एक्शन लें, लेकिन जिसने दोष नहीं किया है। उसके बारे में सोचे। जलपाईगुड़ी में नौकरी जाने पर एक ने आत्महत्या कर लिया। बात-बात पर नौकरी नहीं छिने। मेरी पार्टी, मुझे मुझे गाली दें, मारें, लेकिन खाने का अधिकार नहीं छीने।
उन्होंने कहा कि यदि अन्याय करेंगे, तो गाल में थप्पड़ मारे। कुछ नहीं बालूंगी। सत्ता में आने के बाद एक भी माकपा कैडर की नौकरी नहीं गई, तो फिर आप लोग क्यों नौकरी ले रहे हैं। न्याय का मानवीय चेहरा होना चाहिए। इस बारे में विचार किया जाना चाहिए। निचले स्तर के लोगों को फिर से एक मौका दिया जाना चाहिए।
ममता बनर्जी ने कहा कि इकोनॉमी क्रैसिस चल रहा है। एक पैसा खर्च करने के लिए फाइनेंस से अनुमति लेना होगा। अलीपुर कोर्ट इस बिल्लिंड के लिए 45 करोड़ रुपए मंजूर किया जाएगा। ममता बनर्जी ने कहा कि हम संघीय व्यवस्था का भाग हैं। राज्य सरकार और केंद्र सरकार अपनी व्यवस्था से चलती है। पहले बहुत टैक्स संग्रह कर पाते थे, लेकिन अब केंद्र जीएसटी ले जाता है। 100 दिनों के काम के मामले में 7000 करोड़ रुपये बकाया है। इतने उधार के बावजूद अभी भी एक तारीख को महीना देते हैं और पेंशन भी देते हैं। काम करेंगे राज्य का और केंद्र के अनुसार वेतनमान मांगेंगे यह ठीक नहीं है। यदि क्षमता रहेगी, तो निश्चित ही देंगे।